जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी की तानाशाही के कारण 27/11/2024 को जनकुआक्टा की बैठक श्री मुरली मनोहर टाउन पीजी कॉलेज के राजेंद्र प्रसाद सभागार में अध्यक्ष डॉ0 अखिलेश कुमार राय और महामंत्री डॉ अवनीश चंद पाण्डेय के नेतृत्व में हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय द्वारा जो निरंकशता और तानाशाही जारी है उसके खिलाफ अब बिना परीक्षा का बहिष्कार किये विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांग को सुनने वाला नहीं है।
चाणक्य इण्डिया,स्टाफ रिपोर्टर बलिया।आज दूसरे दिन भी काली पट्टी बाँध कर जनकुआक्टा का विरोध प्रदर्शन जेएनसीयू के कुलपति के खिलाफ जारी रहा। पदाधिकारियों का कहना है कि यदि महाविद्यालयीय शिक्षकों की मांग को अनसुना किया गया तो 7 दिसम्बर से होने वाली परीक्षा का बहिष्कार होकर रहेगा।
जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी की तानाशाही के कारण 27/11/2024 को जनकुआक्टा की बैठक श्री मुरली मनोहर टाउन पीजी कॉलेज के राजेंद्र प्रसाद सभागार में अध्यक्ष डॉ0 अखिलेश कुमार राय और महामंत्री डॉ अवनीश चंद पाण्डेय के नेतृत्व में हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय द्वारा जो निरंकशता और तानाशाही जारी है उसके खिलाफ अब बिना परीक्षा का बहिष्कार किये विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांग को सुनने वाला नहीं है। विश्वविद्यालय में प्रायोगिक परीक्षाओं का भुगतान एक मजाक बनाकर के रह गया है, और विश्वविद्यालय की स्थापना से ही तमाम बहाने बनाकर के और तमाम अवैधानिक नियम पारित करके प्रैक्टिकल के भुगतान को रोक दिया गया है।
लिहाजा बाहरी विश्वविद्यालय का कोई भी परीक्षक जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के प्रयोगात्मक परीक्षाओं के परीक्षक के रूप में आने को तैयार नहीं हैं। वाहय एवं आंतरिक परीक्षकों के चार-चार वर्षों के भुगतान लंबित हैं। प्रयोगात्मक परीक्षाओं की फीस विश्वविद्यालय वसूल कर रख लेता था और उसका भुगतान कॉलेज को एडवांस के रूप में कॉलेज को विश्वविद्यालय देता था। कॉलेज उसका समायोजन विश्वविद्यालय को देता था। अब स्थिति यह हो गई है कि विश्वविद्यालय फीस तो ले लेता है लेकिन भुगतान नहीं करता है और कॉलेज कहां से भुगतान करें इसके लिए दबाव डालते हैं कि आप स्वयं वसूली कर लीजिए। शासनादेश के मुताबिक जो परीक्षा फीस होती है वह विश्वविद्यालय को जाती है कॉलेज कोई अतिरिक्त प्रयोगात्मक फीस न वसूल करता है और न ही उससे वह भुगतान कर सकता है। ऐसी स्थिति में वाहय परीक्षक और आंतरिक परीक्षको का प्रयोगात्मक परीक्षाओं का भुगतान अब तक विश्वविद्यालय कभी भी नहीं किया है।
प्रयोगात्मक परीक्षाओं के अलावा मुख्य परीक्षाओं का भी भुगतान विश्वविद्यालय देने में दो-दो सत्र बिता देता है और तब उसका भुगतान करता है। प्रयोगात्मक परीक्षाओं के परीक्षकों का अभी तक कोई भुगतान नहीं हुआ है। दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा है की शिक्षाशास्त्र विषय कला संकाय में आता है और उसका संकाय अध्यक्ष बीएड संकायाध्यक्ष को बनाया गया है जो नियम विरुद्ध है। NEP 2020 में भी वह कला संकाय का विषय है। विश्वविद्यालय उस विषय की जो मान्यता देता हैं उसे कला संकाय के विषय के रूप में विभिन्न महाविद्यालयों को देता है। जब कला संकाय के अंतर्गत मान्यता देता है तो उसका संकायाध्यक्ष बीएड संकाय के संकायाध्यक्ष को कैसे बनाया हुआ है। कुलपति जी आश्वासन दे चुके हैं कि हम इससे संबंधित अलग अपना आदेश विश्वविद्यालय से जारी करेंगे लेकिन वह सिर्फ जून से ही आश्वासन दे रहे हैं।
जून में आश्वासन दिए फिर अगस्त में आश्वासन दिए और आज तक विश्वविद्यालय आदेश निर्गत नहीं किया। लिहाजा बीएड संकाय के द्वारा शिक्षाशास्त्र के शिक्षकों का शोषण बदस्तूर जारी है। तीसरा जो सबसे बड़ा मुद्दा है वह है कि विश्वविद्यालय शोध छात्रों हेतु कोर्स वर्क हेतु ₹25000 प्रति छात्र केवल कोर्स वर्क के नाम पर फीस लेती है दूसरी तरफ अन्य मदो को जोड़ कर प्रति छात्र लगभग ₹50000 से ऊपर फीस लेती है। किन्तु उस ₹25000 में से ₹1 भी शोध केंद्रो पर जो शिक्षक पढ़ा रहे हैं उनका भुगतान विश्वविद्यालय नहीं कर रहा हैं।संयोजको को जबरदस्ती दबाव डाल कर शोध कक्षाएं चलाने के लिए दबाव डाला जा रहा हैं। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के शोध केन्द्रो पर जो भी शिक्षक शोध छात्रों को पढ़ाते है उन्हें प्रति लेक्चर ₹1500 भुगतान होता है लेकिन जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में एक भी रुपए का प्रावधान नहीं किया गया है। उसको भी लेकर के विरोध प्रदर्शन है और हम बार-बार उनके झूठे आश्वासन में फंसकर परीक्षाएं संपादित करते रहें हैं। किन्तु परीक्षाएं सम्पादित होने के बाद विश्वविद्यालय भुगतान नहीं करता हैं।
इस बार संगठन ने सर्वसम्मत से निर्णय लिया है कि जो भी हमारे मुद्दे हैं और जो भी हमारे लंबित भुगतान है जब तक कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी जो जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के हैं और जनपद के ट्रेजरी ऑफिसर भी हैं भुगतान सुनिश्चित नहीं करते हैं, हम 7 तारीख से होने वाली परीक्षा का बहिष्कार करेंगे और अभी हम कल तक काली पट्टी बांधकर पांच बजे शाम तक हम काली पट्टी बांधकर के विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं और यदि वह कल शाम तक कोई भी सार्थक निर्णय नहीं लेते हैं तो और 50% तक बाकी प्रयोगात्मक परीक्षाओं का भुगतान सुनिश्चित नहीं करते हैं, और शोध केन्द्रो पर प्रति लेक्चर हमारा जो कोर्स वर्क का अन्य विश्वविद्यालय की भांति प्रति लेक्चर भुगतान सम्बंधित आदेश नहीं निर्गत कर देते हैं तो हम काली पट्टी बांध कर उनका बिरोध करते रहेंगे और 5 दिसम्बर 2024 की शाम तक इंतजार के बाद यदि मांग सम्बंधित निर्णय नहीं होता हैं तो बहिष्कार की घोषणा कर आगे की रणनीति तय की जाएंगी।
इस अवसर पर सुदिष्ट बाबा पी जी कालेज, सुदिष्टिपुरी, बैरिया, बलिया, अमरनाथ मिश्र पी जी कालेज, दुबे छपरा, बलिया, कमला देवी बाजौरिया महाविद्यालय, दुबहड़ ,बलिया, सतीश चन्द्र कालेज, बलिया, श्री मुरली मनोहर टाउन पी जी कालेज, बलिया, कुंअर सिंह पी जी कालेज, बलिया, गुलाब देवी पी जी कालेज, बलिया, मथुरा पी जी कालेज, रसड़ा,बलिया, बजरंग पी जी कालेज, दादर, सिकन्दरपुर, बलिया एवं देवेंद्र पी जी कालेज, बेल्थरा रोड बलिया के सैकड़ों शिक्षक काली पट्टी बाँध कर प्रदर्शन किये जिसमें डॉ विवेकानंद पाण्डेय, डॉ रामचंद्र, डॉ विवेक राय ड, डॉ संजय मिश्र, डॉ श्याम बिहारी श्रीवास्तव, डॉ उमेश यादव, डॉ शिवेश राय, डॉ विवेक मिश्रा, डॉ अभिषेक अर्ष, डॉ अनिल तिवारी, डॉ राजेश कुमार, डॉ अशोक सिंह यादव, डॉ शिवप्रसाद, डॉ सीमा वर्मा डॉ संजय कुमार, डॉ कौशिक, डॉ आशुतोष यादव, डॉ धीरज सिंह, डॉ जयशंकर सिंह, डॉ मनोज यादव, डॉ स्मिता वर्मा, डॉ सीमा सिंह, डॉ पूनम गुप्ता, डॉ नेहा रानी, डॉ अंजू पटेल,डॉ मनीष पाण्डेय, डॉ अंगद सिंह, डॉ दशरथ चौहान, डॉ अजय पाण्डेय,डॉ राम तीरथ, डॉ मनोहर यादव, डॉ वृजेश सिंह संस्थापक अध्यक्ष जनकुआक्टा, डॉ सूबेदार प्रसाद, डॉ बृजेश सिंह, डॉ जितेंद्र वर्मा, डॉ संतोष गुप्ता,डॉ विनीत नरायण दुबे, डॉ विजयादशमी पाठक,डॉ फूल बदन सिंह, डॉ सच्चिदानंद, डॉ विमल, डॉ विनीत कुमार राय,डॉ सुबोध कांत तिवारी, डॉ राहुल देव, डॉ त्रिपुरारी ठाकुर , डॉ सच्चिदानंद मिश्र , डॉ चन्द्रप्रकाश यादव, डॉ अवनीश सोनकर, डॉ आशुतोष मिश्र, डॉ समर जीत सिंह, डॉ चौरसिया, डॉ बब्बन राम डाॅ सुरेश मिश्र डाॅ सुशील दुबे आदि शिक्षक मौजूद रहे।
Ashok Malik
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