संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉक्टर अकबरे आजम रहे। मुख्य वक्ता ने चट्टानों से निकलने वाले आर्सेनिक नदियों के पानी को कैसे प्रदूषित करता है? और इसके प्रदूषण को किस टेक्नोलॉजी के माध्यम से सही किया जा सकता है, पर विस्तृत व्याख्या दिया। साथ ही साथ बलिया जनपद में पेयजल में आर्सेनिक की समस्या के समाधान पर विशेष जानकारी दी।
चाणक्य इण्डिया,स्टाफ रिपोर्टर बलिया।सतीश चन्द्र कॉलेज, बलिया के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा “Impact of Arsenic on Human Health: Advances in water treatment technologies for contminant removal” विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉक्टर अकबरे आजम रहे।
मुख्य वक्ता ने चट्टानों से निकलने वाले आर्सेनिक नदियों के पानी को कैसे प्रदूषित करता है? और इसके प्रदूषण को किस टेक्नोलॉजी के माध्यम से सही किया जा सकता है, पर विस्तृत व्याख्या दिया। साथ ही साथ बलिया जनपद में पेयजल में आर्सेनिक की समस्या के समाधान पर विशेष जानकारी दी।
पेयजल से आर्सेनिक निकालने की घरेलू तकनीकी तथा वैज्ञानिक तकनीकी जैसे ऑक्सीकरण, झिल्ली निष्पंदन तकनीकी तथा प्रदूषित पानी के उपचार की नैनो टेक्नोलॉजी पर प्रकाश डाला।
अन्य वक्ताओं की कड़ी में डॉक्टर धीरेंद्र कुमार यादव ने भी आर्सेनिक के दुष्प्रभाव पर चर्चा किया। महाविद्यालय के परास्नातक रसायन शास्त्र के छात्रों द्वारा पोस्टर के माध्यम से प्रदूषित पेयजल की साफ सफाई हेतु पोस्टर का प्रस्तुतीकरण किया गया।
सेमीनार का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर बैकुंठ नाथ पांडे की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इसके संयोजक डॉक्टर सुरेश चंद्र यादव तथा सहसंयोजक डॉक्टर त्रिवेंद्र एवं श्री अवनीश राय रहे।
सेमिनार का समापन भाषण डॉक्टर माला कुमारी द्वारा प्रस्तुत किया गया।
Ashok Malik
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